अंजलि यादव,
लोकल न्यूज ऑफ इंडिया,
नई दिल्ली: होलिका दहन का धार्मिक महत्व अधिक है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, इस दिन कई उपाय किए जाते हैं, कई परंपराओं का निर्वहन किया जाता है, ताकि जीवन खुशहाल और सुख-शांति से भरा रहे। होलिका हदन में शुभ मुहूर्त के साथ ही पूजन सामग्री, पूजा विधि का विशेष महत्व होता है। यहां जानिए होलिका दहन से जुड़ी हर जानकारी।
होलिका दहन पर बन रहा है मंगल, शुक्र और शनि का दुर्लभ योग
इस बार का होलिका दहन बहुत खास है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, 267 साल बाद मंगल, शुक्र और शनि की दुर्लभ युति में होली मनाई जाएगी। अभी मंगल, शुक्र और शनि का योग मकर राशि में बना हुआ है। ऐसा योग 267 साल पहले 26 फरवरी 1755 को बना था। हालांकि आशंका जताई जा रही है कि मंगल, शुक्र और शनि की मकर राशि में युति युद्ध और प्राकृतिक आपदा का कारण बन सकती है।
बहुत खास
होती है होली की रात
ज्योतिष और तंत्र में होली की रात का विशेष महत्व बताया गया है। इस रात्रि में की गई तंत्र साधना शीघ्र ही सफल हो सकती है। मंगल, शुक्र, शनि की युति मकर राशि में है और मंगल सूर्य की ओर देख रहा है, जिससे तंत्र के लिए यह रात बेहद खास होगी। जो लोग मंत्र साधना करना चाहते हैं वे रात के समय एकांत शिव मंदिर में मंत्र जाप और साधना कर सकते हैं।
सही समय पर ही करें होलिका दहन
फाल्गुन पूर्णिमा तिथि 17 मार्च को दोपहर 01 बजकर 29 मिनट से प्रारंभ होगी और समापन 18 मार्च को दोपहर 12 बजकर 47 मिनट पर होगा। भद्रा प्रारंभ 17 मार्च को दोपहर 01 बजकर 02 मिनट से और समापन 17 मार्च को देर रात 12 बजकर 57 मिनट पर होगा। होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 17 मार्च को रात 12 बजकर 57 मिनट के बाद से है।
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